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फलेंगे-फूलेंगे फेफड़े

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जब तक सांस है, तब तक आस है। यह आस मन के लिए ही नहीं, शरीर के लिए भी है। अगर सांस पूरी और अच्छी नहीं आएगी तो तय मानिए कि तंदुरुस्त रहने की आस धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी। सांस के लिए हमारे फेफड़ों का स्वस्थ होना जरूरी है। एकतरफ कोरोना तो दूसरी तरफ पलूशन ने हमारे फेफड़ों के लिए परेशानी पैदा कर दी है। इन दोनों दुश्मनों से कैसे लड़ना है, एक्सपर्ट्स से बात करके जानकारी दे रहे हैं लोकेश के. भारती

आजकल मौसम बदलने और पलूशन से शरीर के जिस अंग पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है, वह हैं लंग्स (फेफड़े)। चाहे कोरोना हो या फिर पलूशन- यही अंग सबसे ज्यादा प्रभावित होता है।
इस अंग की कार्यक्षमता प्रभावित होने पर हमारे बाकी अंगों पर भी असर पड़ता है क्योंकि शरीर
के भीतर प्राणवायु (ऑक्सीजन) लाने की जिम्मेदारी लंग्स की ही है। कम या बिना प्राणवायु के
शरीर और इसके तमाम अंग सही तरीके से काम नहीं कर पाते। इनमें ऊर्जा की कमी महसूस होने लगती है। शरीर में मौजूद एंजाइम्स और हॉर्मोन्स सही ढंग से काम नहीं कर पाते। कई बार फेफड़ों में परेशानी की वजह से शरीर में ऑक्सिजन की मात्रा कम हो जाती हैं। इससे हमारे दिल की धड़कन भी डिस्टर्ब हो जाती है। इन सभी कारणोें से हमारी फिजिकल ऐक्टिविटीज काफी कम हो जाती है। हम बहुत जल्दी थक जाते हैं और हांफने लगते हैं। सीधे कहें तो शरीर के सभी अंग, टिश्यूज, सेल्स के काम करने की क्षमता कम हो जाती है। इसलिए फेफड़ों को ठीक रहना बहुत जरूरी है।

कोरोना के बाद फेफड़ों की जांच जरूरी?
बिना लक्षण वाले या बहुत कम लक्षण वाले मरीजों को वैसे तो जांच कराने की जरूरत नहीं होती। आमतौर पर ऐसे लोगों को कोई दिक्कत नहीं आती। लेकिन ऐसे लोग जिन्हें सांस से जुड़ी परेशानी कोरोना के दौरान रही है, भले ही ऐसे लोगों का कोराना इन्फेक्शन ठीक हो गया हो, वे डॉक्टर की सलाह से जांच करा सकते हैं।
कौन-सी जांच: पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (PFT-Pulmonary Function Test)
खर्च: 300 से 500 रुपये
नोट: इस टेस्ट से यह पता चल जाता है कि सांस की नलियां कोरोना की वजह से सिकुड़ी तो नहीं हैं और लंग्स कितनी क्षमता से काम कर रहे हैं।

सेहतमंद लंग्स के लिए जान लें ये बातें
कोरोना से अब भी ज्यादातर लोग बचे हुए हैं यानी अगर किसी तरह की परेशानी नहीं है तो भी सचेत होने की जरूरत है क्योंकि अब पलूशन भी बड़ा दुश्मन है। यह दुश्मन हमारे फेफड़ों को बहुत बीमार कर सकता है। कैसे बचें इनसे...
1. घर से बाहर निकलने पर ऐसा मास्क लगाकर रखना जो कोरोना और पलशून दोनों से बचाव करे।
2. सिगरेट, बीड़ी, तंबाकू जैसी चीजों से पूरी तरह तौबा करना और पैसिव स्मोकर (बगल में बैठा हुआ कोई शख्स सिगरेट या धुआं निकालने वाली चीज ले रहा हो) भी न बनना।
3. घर में धूप या अगरबत्ती न जलाना। इसके धुएं से सांस लेने में परेशानी हो सकती हैं।

ऐसे जानें, फेफड़ों में है कितना दम
1. Balloon
घर पर अपने फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने के लिए गुब्बारे काफी मददगार हैं। इसके लिए किसी भी साइज के बलून ले आएं। बड़े साइज के हों तो बेहतर। गुब्बारे को अपने मुंह से हवा भरकर फुलाएं। हवा भरने के लिए पहले ज्यादा से ज्यादा हवा अपने फेफड़ों में भरें। इसके बाद उसे बलून के अंदर डालें। अगर फूले हुए बलून हों तो उनसे हवा निकालकर उन्हें दोबारा फुला सकते हैं। अगर काफी सारे गुब्बारे फुला चुके हों उन्हें जरूरतमंद बच्चों में बांट दें। इससे बच्चे भी खुश और उनकी खुशी देखकर हम भी खुश। इस बात का भी ध्यान रखें कि बलून को फुलाना तब बंद कर दें जब मुंह या जबड़े में दर्द होने लगे। ऐसा देखा जाता है कि अगर पहले दिन किसी ने एक बलून फुलाया और वह दूसरे दिन 2 फुला लेता है तो यह फेफड़ों की बढ़ती क्षमता को ही बताता है। कोरोना से उबरे हैं तो 1 से 2, नहीं तो 4 से 5 बलून फुला सकते हैं।
कीमत: 20 से 50 रुपये, (10 से 20 गुब्बारों का पैकिट)

2. Three Balls Spirometer
सांस की क्षमता को जांचने और बढ़ाने में 'थ्री बॉल्स स्पाइरोमीटर' का इस्तेमाल भी कारगर है। इसमें एक पाइप होता है और 3 प्लास्टिक की हल्के बॉल। पाइप में फूंक मारनी होती है। अगर किसी के फूंकने से तीनों बॉल ऊपर उठ जाती हैं तो समझें उनके फेफड़ों की क्षमता अच्छी है। अगर 2 बॉल उठ रही हैं तो क्षमता कुछ कम है। अगर 1 ही उठ रही है तो उन्हें अपनी क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है। इस मशीन का इस्तेमाल दिन में 2 से 3 बार कर सकते हैं जब तक क्षमता सही न हो जाए।
कीमत: 250 से 400 रुपये

3. Peak Expiratory Flow Meter
फेफड़ों की क्षमता को मापने के लिए पीईएफआर टेस्ट भी एक अच्छा तरीका है। इसमें भी फूंक मारनी होती है। फूंक मारने के बाद अगर संकेत हरे रंग तक पहुंचता है तो फेफड़ों की स्थिति अच्छी है। अगर पीले रंग तक पहुंचता है तो सुधार की जरूरत है और लाल रंग पर मामला अटकता है तो डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं या फिर धीरे-धीरे यहां बताए हुए तरीकों से फेफड़ों की क्षमता बढ़ा सकते हैं।
कीमत: करीब 800 रुपये

4. सांस रोकना
इनके अलावा सांस रोकने की क्षमता से भी पता चलता है कि फेफड़े कैसा काम कर रहे हैं। अगर कोई शख्स लंबी सांस खींचकर 1 से डेढ़ मिनट तक सांस रोककर रख ले तो यह मान लिया जाता है कि उसके फेफड़ों की क्षमता अच्छी है क्योंकि उसके फेफड़ों ने काफी अच्छी मात्रा में बाहर की हवा को शरीर के भीतर पहुंचाया। यहां इस बात का ध्यान रखें कि अगर कोई 30 सेकंड तक ही अपनी सांस रोक पाता है तो धीरे-धीरे कोशिशों से उसकी क्षमता भी बढ़ जाती है।
ध्यान दें: ऊपर बताए हुए सभी तरीकों को 7 साल से बड़ा बच्चा भी कर सकता है, खासकर बलून वाला।

जब प्रदूषण ज्यादा हो जाए तो ऐसा करें...
मास्क एक, काम अनेक
कोरोना के असर ने सभी को परेशान किया है लेकिन यह भी सच है कि इसने मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग की आदत भी डाली है।
  • मास्क जहां एक तरफ कोरोना से हमें बचाता है, वहीं यह हवा में मौजूद पलूशन, खास तौर से डस्ट पार्टिकल्स को रोकने में भी कामयाब है।
  • मास्क 3 लेयर का हो तो बेहतर है।
  • N-95 मास्क भी अच्छा है। यह महंगा होता है। इसलिए कपड़े के 3 से 4 मास्क बनवाकर बारी-बारी से उनका इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • मास्क पारदर्शी न हो तो बेहतर है क्योंकि ऐसे मास्क कोरोना की मौजूदगी वाले थूक या खांसी की वजह से निकले ड्रॉपलेट्स को रोकने में तो सक्षम होते हैं, लेकिन हवा में मौजूद पलूशन को रोकने में सक्षम नहीं होते।
  • सिर्फ रुमाल या दुपट्टा लपेटने से कोरोना वाले ड्रॉपलेट्स से बचाव हो सकता है, लेकिन पलूशन से बचने के लिए ये काम नहीं आएंगे। मास्क नाक और मुंह को सही तरीके ढकने वाला हो और फिट हो जाता हो।
  • सर्जिकल मास्क कोरोना से बचाव में कारगर है अगर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, लेकिन पलूशन से बचाने में यह मास्क नाकाफी है।

घर की हवा रहेगी साफ
  • कमरे की खिड़कियां बंद रखें। घर के अंदर कोई भी चीज जलाने से बचें, मसलन लकड़ी, मोमबत्ती और यहां तक कि धूप-अगरबत्ती भी। समय-समय पर गीला पोछा लगाते रहें। प्रदूषण ज्यादा होने पर दिन में 3 से 4 बार गीला पोछा जरूर लगाएं। इससे खतरनाक डस्ट पार्टिकल्स से घर मुक्त रहेगा।
  • अगर सुबह-शाम घर के अंदर दरवाजे के पास 2 लीटर पानी खुले में उबाला जाए तो धूल व प्रदूषण के ज्यादातर कण वाष्प के साथ नीचे बैठ जाएंगे, जिससे घर के अंदर की हवा का प्रदूषण कम हो जाएगा।
  • अगर बाहर पलूशन बहुत ज्यादा है तो घर के रोशनदान, दरवाजे आदि को जितना मुमकिन हो, बंद करके रखें।

आयुर्वेद में हैं इसके लिए है कारगर उपाय
घर में रखें इन बातों का ध्यान
  • मौसम में बदलाव हो रहा है। ठंड की शुरुआत हो चुकी है। औसत तापमान में भी अंतर आ चुका है। इसलिए शरीर की जरूरत को समझना जरूरी है।
  • एसी बंद हो गए हैं लेकिन पंखे चल रहे हैं। पंखे भी कमरे के तापमान और अपनी जरूरत के मुताबिक चलाएं। वैसे कभी भी शरीर का तापमान सामान्य स्थिति में नहीं बदलता।
  • कई लोग सोते समय खिड़की खोल देते हैं। इससे बाहर की ठंडी हवा अंदर आ जाती है और खराश पैदा कर देती है।
  • सुबह उठने के बाद एक गिलास गुनगुने पानी से गरारे करें।
  • गरारे करने के बाद मुंह में सरसों का तेल भर लें। इसे पीना नहीं है। 3 से 4 मिनट तक सरसों के तेल को मुंह में चलाएं। इसके बाद इसे फेंक दें। इससे दांतों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। विंड पाइप यानी सांस की नली लचीली होती है। यह तेल कुछ हद तक बाहर से आने वाले इन्फेक्शन को रोकने में भी कारगर है।
  • गरारे करने और मुंह में तेल चलाने के 5 से 10 मिनट बाद करीब 10 से 15 मिनट तक अनुलोम-विलोम और कपालभाति कर सकते हैं।

बाहर जाते समय
  • भले ही अभी ठंड कम है, लेकिन बाहर निकलते समय ऐसे कपड़े पहनें जो शरीर को पूरी तरह ढक लें।
  • बाहर निकलते समय नाक के दोनों छिद्रों में सरसों या तिल का तेल लगा लें। इसे अपनी तर्जनी उंगली की मदद से लगा सकते हैं। इन दिनों चाहें तो अपने नाक के बाल न काटें। इससे हवा में मौजूद डस्ट पार्टिकल सांस की नली और फेफड़ों तक नहीं पहुंच सकेंगे।

इनसे भी फायदा
  • अगर बाहर से आने के बाद किसी को गले में खराश या हल्की खांसी हो जाए तो एक गिलास दूध में एक चौथाई चम्मच हल्दी, 2 से 3 तुलसी के पत्ते, 2 से 3 लौंग, आधा इंच दालचीनी, एक इंच गिलोय, 2 से 3 काली मिर्च डालकर उबाल लें। शुगर की परेशानी नहीं है तो गुड़ या चीनी भी डाल सकते हैं। 10 मिनट उबालने के बाद इसे कुछ गर्म ही धीरे-धीरे पी लें।
  • अगर सीने में कफ जमा हो तो 1 गिलास दूध में 5 से 7 किशमिश, 2 से 3 खजूर डालकर 10 मिनट उबाल लेना है। फिर जिनकी उम्र 5 साल से ज्यादा है वे बिना छाने ही इन्हें पी लें और किशमिश आदि को खा लें।
  • सूखी अदरक का एक टुकड़ा गुड़ की दोगुनी मात्रा के साथ चबाएं। इसे दोपहर में भोजन से पहले या बाद में लें।
  • रात में एक कप गर्म पानी के साथ हरितकी (छोटी हरड़) का चूर्ण 45 दिनों के लिए लें। इसे लेने से शरीर पलूशन से लड़ने के काबिल बनेगा।
  • रोज सुबह-शाम 1-1 चम्मच च्यवनप्राश लें। यह बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है।

रामबाण है जलनेति
इसके लिए सुबह खाली पेट आधा लीटर पानी उबालकर ठंडा कर लें। जब पानी गुनगुना रह जाए तब उसमें आधा चम्मच सफेद या सेंधा नमक मिला लें। अब टोंटीदार लोटा लेकर पानी को लोटे में भर लें और कागासन में बैठ जाएं। जो नासिका चल रही हो, उसी हथेली पर लोटा रख लें और टोंटी को चलती नासिका पर लगाएं और गर्दन को दूसरी तरफ झुका लें। मुंह खोलकर मुंह से सांस लेते रहें। लोटे को थोड़ा ऊपर उठाते ही दूसरी नाक से पानी आना शुरू हो जाएगा। लोटा खाली होने पर इसी तरह दूसरी नासिका से भी कर लें। हाथों को कमर के पीछे बांधकर खड़े हो जाएं और थोड़ा आगे झुककर कपालभाति क्रिया गर्दन को सामने, नीचे, दाएं व बाएं घुमाकर बार-बार कर लें, जिससे नाक के अंदर रुका पानी निकल जाएगा। हर दिन खाली पेट 5 मिनट तक कर सकते हैं।
सावधानी: अभ्यास योग विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ही करें।

स्नेहन और स्वेदन
स्नेहन: स्नेह का मतलब शरीर को स्निग्ध यानी चिकना करने से है। स्नेहन शरीर पर तेल आदि स्निग्ध पदार्थों की मालिश (मालिश) करके किया जाता है। कुछ बीमारियों की चिकित्सा में स्नेहन को प्रधान कर्म के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
स्वेदन: वाष्प स्वेदन में स्टीम बॉक्स में मरीज को लिटाकर या बिठाकर स्वेदन किया जाता है। स्वेदन को घर में खुद भी कर सकते हैं। इसके लिए गर्म चाय या गर्म पानी पीने के बाद मोटा कंबल ओढ़ लेते हैं।

इम्यूनिटी की मजबूती भी जरूरी
बात चाहे लंग्स की हो या फिर किसी भी दूसरे अंग की, इनमें कमजोरी या परेशानी की सबसे बड़ी वजह है हमारी इम्यूनिटी का कमजोर होना। इम्यूनिटी 1 दिन या 1 महीने में दुरुस्त होने वाली चीज नहीं है। यह एक लंबी प्रक्रिया है और हमेशा ही जारी रखने वाली क्रिया भी है। ऐसा नहीं है कि आज हमने इसे ठीक करने के लिए अपना खानपान सुधार लिया और कल से इस पर ध्यान नहीं देना है। आज कोरोना के जितने भी गंभीर मरीज हुए हैं, उनमें से 90 फीसदी से ज्यादा लोग कमजोर इम्यूनिटी की वजह से शिकार हुए हैं। इनमें ऐसे लोगों की तादाद बहुत है जिन्होंने सिगरेट जैसी चीजों की लत की वजह से अपने फेफड़ों की क्षमता बर्बाद की है और अपनी इम्यूनिटी कमजोर कर दी है। अगर फेफड़े कमजोर होंगे तो शरीर के सभी अंग कमजोर होंगे। इसलिए फेफड़ों की अच्छी सेहत के लिए सही खानपान और रुटीन बनाए रखना जरूरी है।

5 बातें जिनसे फेफड़े होंगे दमदार...
1. नींद पूरी और खानपान सही हो
हर शख्स के लिए हर दिन 7 से 8 घंटे की नींद लेना जरूरी है। इससे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम करते हैं। जहां तक डाइट की बात है तो कार्बोहाइड्रेट- चावल या रोटी, प्रोटीन- दाल, फैट्स- सरसों का तेल या देसी घी, मिनरल और विटामिन- हरी सब्जियां, फल सभी शामिल हों। इन सभी को हफ्ते में एक बार नहीं, हर दिन खाना है। हमारी हर डाइट में प्रोटीन जरूर शामिल होना चाहिए।
मौसमी फल, सब्जियां: इन्हें खाने में जरूर शामिल करें। कम से कम हर दिन 1 से 2 कटोरी हरी सब्जियां, जैसे- पालक, सरसों का साग, फूल गोभी आदि और हर दिन 1 से 2 फल जैसे- सेब, संतरा, अनन्नास आदि सुबह नाश्ते के बाद लें। दरअसल, इन सब्जियों और फलों में ओमेगा 3 फैटी एसिड मिलते हैं जो एंटी इन्फ्लामेट्री होते हैं। नॉनवेज खाने वालों के लिए मछली बेहतरीन चीज है। ये लंग्स की क्षमता को बढ़ाते हैं। शरीर में सूजन घटाते हैं। इसमें तुलसी, हल्दी और आंवला भी फायदेमंद है।
काढ़ा: सर्दियों में काढ़ा पीना ज्यादा फायदेमंद है। काढ़ा बनाना और कितनी मात्रा में पीना है, जानने के लिए हमारे फेसबुक पेज sundaynbt पर जाएं और 'काढ़ा' टाइप करें। वहां सबसे ऊपर ही लेख मिलेगा।

2. धूप जरूर लें
शरीर में इसकी कमी बिलकुल भी न हो। शरीर में जहां भी कोई परेशानी देखी जाती है, उसके पीछे एक वजह विटामिन-डी की कमी होती है। इसलिए जरूरी है कि हम जाड़ों में हर दिन सुबह 9 से 12 बजे तक 35 से 40 मिनट के लिए और गर्मियों में सुबह 8 से 11 बजे के बीच 30 से 35 मिनट के लिए धूप में जरूर बैठें।

3. योग और एक्सरसाइज
-हर दिन सुबह के वक्त 20 से 25 मिनट तक योग और फिर एक्सरसाइज करें या फिर दोनों करें।
-शुरुआत कपालभाति से करें। फिर नीचे बताए हुए योगासन और प्राणायाम को क्रमानुसार 15 से 20 मिनट तक करें। हर एक आसन 2 से 3 बार करें।
-ताड़ासन, 2. कटिचक्रासन, 3. उत्तानपादासन, 4. सेतुबंध आसन, 5. भुजंगासन, 6. उष्ट्रासन, 7. अनुलोम-विलोम, 8. उज्जायी प्राणायाम, 9. भस्त्रिका प्राणायाम, 10. ओम का जाप।

4. सिगरेट बिलकुल नहीं
बाहर का खाना, पैक्ड फूड बिलकुल बंद कर दें। रिफाइंड ऑयल और मैदे से बनी चीजें न खाएं। सिगरेट और नशे से दूर रहें। पैसिव स्मोकिंग से भी बचाें।

5. 6 फुट की दूरी जरूरी
बाहर जब भी निकलें मास्क पहनकर रहें, 6 फुट की दूरी बनाकर रखें। सैनिटाइजर का इस्तेमाल भी जरूर करें बार कोरोना हो गया तो इम्यूनिटी बहुत कमजोर हो जाएगी।

अस्थमा वालों के लिए जरूरी बातें
- इनहेलर हमेशा अपने साथ रखें। यहां तक कि परेशानी ज्यादा हो तो बाथरूम तक में इसे ले जाना न भूलें यानी इसे दिल से लगाकर रखें। इसके अंदर दवा की मात्रा जरूर जांचते रहें। ऐसा न हो कि इनहेलर की जरूरत पड़े और वह अंदर से खाली निकले।
-अस्थमा से ग्रस्त बच्चों को जितना मुमकिन हो, पलूशन से दूर रखें। बाहर से आने पर हाथ-मुंह, आंख आदि को पानी से जरूर धोएं।
-सोमलता चूर्ण अस्थमा मरीजों के लिए काफी फायदेमंद। इसे ले सकते हैं।
नोट: कोई भी दवा डॉक्टर की सलाह से ही लें।

घर में लगाएं इन पौधों को
1. पीस लिली: यह हानिकारक कणों को दूर भगाता है। कीमत: 150-200 रुपये
2. रबड़ प्लांट: वुडन फर्नीचर से निकलने वाले हानिकारक ऑर्गेनिक कंपाउंड से वातावरण को मुक्त करने की क्षमता है। कीमत: 150-200 रुपये
3. मनी प्लांट: यह हवा को शुद्ध करने में काफी मदद करता है। कीमत: 100 से 300 रुपये
4. तुलसी: यह कॉर्बन मोनोऑक्साइड, कॉर्बन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड को अवशोषित करने में सहायक है। कीमत: 20 से 50 रुपये
नोट: 1. पौधों की कीमतों में अंतर मुमकिन है।
2. घर के अंदर 10-20 पौधे लगा लिए हों तो इसका मतलब यह न समझें कि घर की हवा पूरी तरह साफ हो गई है। हां, इससे घर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाएगी।


होम्योपैथी में फेफड़ों के लिए दवाइयां
होम्योपैथी से फेफड़ों की हर प्रकार की बीमारी का इलाज किया जा सकता है। सबसे पहले हम एलर्जी से होने वाली बीमारियों की बात करते हैं। बड़े शहरों में फेफड़े की एलर्जी वायु प्रदूषण की वजह से बहुत ज्यादा होती है। ऐसे में मरीज खांसी, बलगम और दम फूलने की शिकायत करता है। होम्योपैथी ऐसे मरीजों के लिए एक रामबाण इलाज है।
होम्योपैथी दवाएं: Arsenic, Blatta, Ipecac, Lycopodium; Sulphur & Thuja
बच्चों में फेफड़ों का इन्फेक्शन: आजकल ऐसी परेशानी बच्चों में काफी होती है। बच्चों के लिए होम्योपैथी दवाइयां: Antim tart, Kali Sulph, Pulsatilla, Bacillinum आदि।
कितनी मात्रा में: 30 potency यानी 4 गोली, 6 महीनों तक।

कितने काम के हैं एयर प्यूरिफायर
  • सांस संबंधी समस्याओं से निजात दिलाने के लिए जरूरी है कि प्यूरिफायर पीएम 2.5 पार्टिकल को फिल्टर करे।
  • अगर एयर प्यूरिफायर खरीदना पड़े तो ऊंचे HEPA (हाई एफिशिएंसी पार्टिकुलेट एयर) मतलब ज्यादा-से-ज्यादा महीन कणों को रोकने लायक फिल्टर और हाई क्लीन एयर डिलिवरी रेट हो यानी तेजी से गंदी हवा को साफ करने की दर ऊंची हो।
  • प्यूरिफायर की 3-6 महीने में सर्विसिंग करवानी होती है और फिल्टर आदि बदलवाने होते हैं।
  • फिलहाल मार्केट में फिलिप्स, ब्लूएयर, यूरेका फॉर्ब्स, हनीवेल और केंट जैसी कंपनियों के एयर प्यूरिफायर 11 हजार रुपये से 95 हजार रुपये में मौजूद हैं।
  • इसके इस्तेमाल करनेवालों का कहना है कि इससे हालात बदतर होने से तो बच जाते हैं, लेकिन प्रदूषण के घातक हालात में यह कारगर नहीं रहता।
  • इससे दमे या एलर्जी के मरीजों को राहत मिलती है, लेकिन आम लोगों की सेहत में यह भारी सुधार करता हो, ऐसा देखने में नहीं आया है।
  • कई स्टडीज यह भी दावा करती हैं कि एयर प्यूरिफायर भले ही हवा साफ करता है, लेकिन यह डिवाइस खुद ही ओजोन और निगेटिव आयन वातावरण में छोड़ती है। इससे हालात सुधरने के बजाय बिगड़ने लगते हैं।
  • एयर प्यूरिफायर के बेहतर तरीके से काम करने के लिए जरूरी है कि घर पूरी तरह से सील हों। हमारे देश में ऐसे घर कम ही होते हैं जो पूरी तरह से एयर टाइट हों। अगर ऐसा नहीं होगा तो जिस तेजी से एयर प्यूरिफायर उसे साफ करने की कोशिश करेगा, उसी तेजी से प्रदूषित हवा घर में आ जाएगी। ऐसे में यह असरदार तरीके से काम नहीं कर पाएगा।

एंट्री लेवल के प्यूरिफायर
ये 14X12 फुट के कमरे को कवर कर सकते हैं जबकि महंगे मॉडल बड़े एरिया को। इनकी कीमत 11 हजार से 95 हजार रुपये तक है।
पोर्टेबल एयर प्यूरिफायर
लगभग 6,000 रुपये के आसपास मिलने वाले पोर्टेबल एयर प्यूरिफायर एक फुल साइज़ वाले प्यूरिफायर की तुलना में एक छोटे एरिया (करीब 50 स्क्वायर फीट) में हवा को अच्छे-से साफ कर सकते हैं। आकार छोटा होने से इसे लाना, ले जाना आसान है।
कार के लिए एयर प्यूरिफायर
गाड़ियों में ज्यादा घूमना होता है तो एक इन-कार एयर प्यूरिफायर खरीद लें। कीमत 2,000 रुपये से शुरू होती है।
नोट: कीमतों में फर्क संभव है।

एक्सपर्ट पैनल
  • डॉ. राजकुमार डायरेक्टर, पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट
  • डॉ. अंशुल वार्ष्णेय सीनियर कंसल्टेंट, फिजिशन
  • डॉ. अजय सिंघल सीनियर ENT एक्सपर्ट
  • डॉ. अव्यक्त अग्रवाल, सीनियर पीडीअट्रिशन
  • डॉ. आर.पी. पाराशर MS, पंचकर्मा हॉस्पिटल
  • डॉ. सुशील वत्स सीनियर, होम्योपैथ
  • आचार्य यशोवर्धन योगी, वरिष्ठ वैद्य
  • नीलांजना सिंह सीनियर, डाइटिशन

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