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डाइट सप्लिमेंट लें राइट

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हाल के बरसों में शाकाहार की ओर लोगों का रुझान बढ़ा है। हालांकि माना जाता है कि वेजिटेरिअन डाइट से कई बार शरीर को पोषक तत्व, खासकर पूरे प्रोटीन नहीं मिलते। ऐसे में क्या डाइट सप्लिमेंट लेना बेहतर ऑप्शन हो सकता है? डाइट सप्लिमेंट्स की जरूरत और सही इस्तेमाल पर एक्सपर्ट्स से बात करके पूरी जानकारी दे रही हैं प्रियंका सिंह

एक्सपर्ट्स पैनल
-गौरव अग्रवाल, सीईओ, वनलाइफ न्यूट्रिशन
-डॉ. शिखा शर्मा, न्यूट्री-डाइट एक्सपर्ट
-रेखा शर्मा, पूर्व, चीफ डाइटिशन, एम्स
-नीलांजना सिंह, सीनियर डाइटिशन

29 साल की शिखा अपने तेजी से गिरते बालों से बहुत परेशान थीं। उन्होंने काफी घरेलू नुस्खे अपनाए, डॉक्टर से दवा भी ली, लेकिन बालों का झड़ना रुका नहीं। फिर उन्होंने अपने डॉक्टर की सलाह पर एक अच्छी कंपनी का बायोटिन सप्लिमेंट लिया। 2-3 महीने में ही शिखा के बाल गिरने बंद हो गए और चेहरा भी चमकने लगा। 22 साल के नितिन ने जिम जाना शुरू किया। जिम ट्रेनर की सलाह पर उन्होंने प्रोटीन शेक पीना शुरू किया, लेकिन नितिन को लगा कि बावजूद इसके मसल्स वैसी नहीं बन रहीं, जैसा उन्होंने सोचा था। नितिन ने जल्दी मसल्स बनाने के चक्कर में ट्रेनर की बताई मात्रा से तीन गुना ज्यादा शेक पीना शुरू किया। 2-3 दिन में ही नितिन को बेचैनी, उलटी, घबराहट जैसी समस्याएं महसूस होने लगीं। डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि जरूरत से ज्यादा प्रोटीन शेक पीने से दिक्कत हो रही है। साथ ही, शेक में स्टेरॉयड भी मिले थे।

इन दो उदाहरणों से साफ है कि डाइटरी सप्लिमेंट जहां हमारे शरीर को पूरा पोषण देने में मददगार साबित हो सकते हैं, वहीं गलत इस्तेमाल से ये हमें नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। ऐसे में डाइटरी सप्लिमेंट लेने से पहले डॉक्टर की सलाह के अलावा इन्हें सही मात्रा में लेना भी जरूरी है। साथ ही, इन्हें खरीदते हुए अच्छे ब्रैंड का भी ध्यान रखें।

क्या है हेल्दी डाइट

अगर हम सही पोषण की बात करें तो हमारे शरीर को कार्ब, फैट, प्रोटीन, विटामिन और पानी को मिलाकर एक बैलेंस्ड डाइट की जरूरत होती है। कार्ब (अनाज आदि) और फैट (घी-तेल आदि) तो हमें आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन प्रोटीन (दाल, अंडा, मछली आदि) और विटामिन व मिनरल (नट्स, सीड्स, बीन्स, मशरूम आदि) की जरूरतें कई बार रुटीन खाने से पूरी नहीं हो पातीं। वैसे भी प्रोटीन्स मैक्रोन्यूट्रिएंट कैटिगरी में आते हैं, जबकि विटामिन और मिनरल माइक्रोन्यूट्रिएंट कैटिगरी में। प्रोटीन्स मैक्रोन्यूट्रिएंट इसलिए हैं क्योंकि हमारे शरीर को ढंग से काम करने के लिए इनकी जरूरत ज्यादा मात्रा में होती है। एक ग्राम प्रोटीन में 4 कैलरी होती हैं इसलिए जरूरत पड़ने पर इन्हें एनर्जी के सोर्स के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। प्रोटीन न सिर्फ शरीर के सही गठन और अंगों के सही काम करने में मदद करते हैं, बल्कि शरीर में फ्लूइड का बैलेंस भी सही रखते हैं और इम्यून सिस्टम को दुरुस्त रखते हैं। शरीर के वजन के मुताबिक हर किलो के लिए 0.8 से 1 ग्राम तक प्रोटीन लेने चाहिए। मसलन अगर किसी का वजन 57 किलो है तो उसे रोजाना 45.6 ग्राम प्रोटीन खाना चाहिए। मोटे तौर पर एक बड़ी कटोरी (करीब 30 ग्राम) दाल में 7 ग्राम प्रोटीन होता है। इसी तरह एक छोटे गिलास (करीब 220 ग्राम) दूध में 8 ग्राम प्रोटीन होता है। बाकी रुटीन चीजों जैसे कि आटा, चावल, सब्जियां आदि में कुछ मात्रा में प्रोटीन होता है। लेकिन आमतौर पर यह हमारे शरीर की जरूरत पूरी नहीं कर पाता। तब सप्लिमेंट की जरूरत पड़ती है। विटामिन और मिनरल को माइक्रोन्यूट्रिएंट कहा जाता है। शरीर को सुचारू रूप से काम करने के लिए हमें थोड़ी मात्रा में ही सही, लेकिन विटामिन और मिनरल्स जरूरी होते हैं। कुल 13 विटामिन होते हैं जिन्हें दो कैटिगरी में बांटा जाता है:

1. पानी में घुलने वाले: विटामिन सी, विटामिन बी (बी-6, बी-12 (निआसिन), विटामिन बी1 (थायमिन), विटामिन बी 2 (रिबोफ्लैविन), विटामिन बी9 (फोलेट), विटामिन बी7 (बायोटिन) और विटामिन बी 5। ये पानी में घुलकर सीधे हमारे खून में जाते हैं।

2. फैट में घुलने वाले: विटामिन ए, विटामिन डी, विटामिन ई, विटामिन के। ये छोटी आंत से हमारे शरीर द्वारा सोखे जाते हैं।

कमी हो जाए तो...

अगर विटामिन और मिनरल्स की हमारी जरूरत पूरी न हो तो हम बीमार पड़ सकते हैं। जैसे कि विटामिन ए की कमी से आंखों की रोशनी कम होती है तो विटामिन बी1 की कमी से बेरी-बेरी और विटामिन डी से रिकेट्स यानी हड्डियों की समस्या होती है। विटामिन बी7 की कमी से स्किन और बालों की समस्याएं होती हैं। अमेरिका में चलन है कि आटे को भी विटामिन्स और मिनरल्स डालकर फोर्टिफाई किया जाता है, लेकिन अपने देश में अभी यह ज्यादा चलन में नहीं है। ऐसे में बेहतर तो यह है कि आप बैलेंस्ड डाइट लेने की कोशिश करें ताकि शरीर को जरूरी विटामिन और मिनरल्स मिल सकें। अगर यह पॉसिबल न हो तभी बाहर से आप इन्हें लेने के बारे में सोचें।

लेबल पर क्या चेक करें

अगर कोई हेल्दी डाइट लेता है, फास्ट फूड से दूर रहता है तो आमतौर पर सप्लिमेंट की जरूरत नहीं होती, लेकिन अगर डाइट से शरीर के पोषण की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही तभी सप्लिमेंट लेना बेहतर है। इसके अलावा, कुछ और स्थितियों में भी सप्लिमेंट की जरूरत हो सकती है। जिनमें खास हैं:

1. वेजिटेरिअन होना

माना जाता है कि वेज खाने वालों को विटामिन और प्रोटीन पूरे नहीं मिलते। हालांकि यह सही नहीं है। दरअसल, वेजिटेरिअन खाने से हमें ज्यादातर मिनरल और विटामिन तो मिल जाते हैं, लेकिन अच्छी मात्रा में प्रोटीन नहीं मिल पाते। ऐसे में वेजिटेरिअन लोगों को अपनी डाइट में प्रोटीन और विटामिन ज्यादा शामिल करने चाहिए, खासकर विटामिन बी12 (दूध और दूध से बनी चीजें, चीज़, अंडा आदि), विटामिन ई (बादाम, पालक, शकरकंद, सनफ्लार सीड्स आदि) और विटामिन डी (चीज़, अंडा, ऑरेंज जूस आदि)। वेज खाना ऐसा होना चाहिए जिसमें फाइबर, विटामिन और मिनरल अच्छी मात्रा में हों। आजकल तो मार्केट में फोर्टिफाइड फूड भी मिलता है, यानी ऐसा खाना जिसमें अलग से जरूरी मिनरल और विटामिन डाले जाते हैं। अगर इन सबसे न्यूट्रिशन की जरूरत पूरी न हो तभी डाइटरी सप्लिमेंट लेने चाहिए।

2. जिम जाने वाले

अगर आप जिम जाते हैं या बहुत ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी, रेस, खेल-कूद आदि करते हैं तो आपको डाइटरी सप्लिमेंट की जरूरत होती है। दरअसल, रोजाना के खाने से मिलनेवाले माइक्रोन्यूट्रिएंट शरीर में बहुत अच्छी तरह पच जाते हैं। जब हम बहुत ज्यादा मेहनत करते हैं तो ये हमारे लिए कम पड़ जाते हैं या फिर कह सकते हैं कि फटाफट पच जाते हैं। तब हमें अडिशनल मल्टिविटामिन, मल्टिमिनरल या प्रोटीन सप्लिमेंट की जरूरत पड़ती है। अक्सर लोग जब जिम जाना शुरू करते हैं तो शरीर में सूजन, थकान, दर्द आदि की शिकायत होती है।

इस तरह की समस्याओं से निजात दिलाने में प्रोटीन शेक काफी मददगार साबित होते हैं। पीते ही ये शरीर में जज्ब हो जाते हैं क्योंकि ये छोटे प्रोटीन मॉलिक्यूल में टूटकर आसानी से पच जाते हैं। लेकिन प्रोटीन शेक्स के साथ पूरी डाइट भी लेनी चाहिए। यह भी ध्यान रखें कि इनमें स्टेरॉयड न हों। वैसे, जो लोग जिम जाने या हेवी एक्सरसाइज करने के बावजूद सप्लिमेंट नहीं लेना चाहते, उन्हें रोजाना अच्छी मात्रा में पनीर लेना चाहिए। इसके अलावा विटामिन सी ज्यादा मात्रा में लेना चाहिए क्योंकि यह भारी एक्सरसाइज से मसल्स को होनेवाले नुकसान की रिकवरी करने में मदद करता है। विटामिन सी आंवला, ऑरेंज और अमरूद जैसे फलों में अच्छी मात्रा में पाया जाता है।

3. प्रेग्नेंसी की उम्र वाली महिलाएं

जो युवतियां या महिलाएं प्रेग्नेंसी की उम्र में हैं और बेबी प्लान करना चाहती हैं, उन्हें भरपूर मात्रा में फोलिक एसिड (ब्रोकली, टमाटर, सोयाबीन आदि) खाना चाहिए। फोलिक एसिड से बच्चे में जन्मजात विकार होने की आशंका कम हो जाती है, इसलिए गर्भधारण की उम्र में फोलिक एसिड अच्छी मात्रा में खाना चाहिए। इसके लिए वे फोलिक एसिड का सप्लिमेंट भी ले सकती हैं।

4. डाइटिंग करने वाले

अगर कोई वजन कम करने के मकसद से रोजाना 1000 कैलरी से कम खाता है या उसे भूख नहीं लगती या किसी वजह से ढंग से खाना नहीं खा पाता तो, फूड सप्लिमेंट से अपने रोजाना के खाने की जरूरतें पूरी कर सकता है।

5. बीमारी वाले भी

इसके अलावा किसी खाने से एलर्जी वाले लोग, एनीमिया, कैंसर जैसी बीमारी के मरीजों और बुजुर्गों को भी अडिशनल सप्लिमेंट की जरूरत होती है। उम्र बढ़ने पर भी खाने में दिक्कत होने लगती है। ऐसे में शरीर को पोषक पदार्थ पूरा नहीं मिल पाता और बीमार पड़ने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में सप्लिमेंट मददगार हो सकते हैं, जैसे कि मजबूत हड्डियों के लिए कैल्शियम, अच्छी नींद के लिए मिलैटोनिन, पाचन के लिए फाइबर आदि के सप्लिमेंट दिए जा सकते हैं। 60 साल की उम्र के बाद डाइट सप्लिमेंट जरूर लेने चाहिए। इसी तरह टीन-एज लड़कियों को भी अडिशनल आयरन लेना पड़ सकता है। वैसे, नींबू या कोई भी खट्टी चीज खाने से आयरन शरीर में बेहतर तरीके से जज्ब होता है।

कैसे जानें कि पोषण नहीं मिल रहा

अगर आपको एनर्जी कम लगे, पूरा सोने के बाद भी नींद पूरी होने का अहसास न हो, लगातार थकान बनी रहे, भूख न लगती हो, स्किन पीली पड़ गई हो, डायरिया हो, कन्फ्यूजन की स्थिति हो, उंगलियों में सुन्नपन हो तो हो सकता है कि आप में विटामिन की कमी हो। कमी का अंदाजा कुछ लक्षणों से लगा सकते हैं:

1. मुंह के कोने में दरारें: अगर आपके मुंह के कोनों में दरार-सी लगे तो आप में आयरन, जिंक, विटामिन बी की कमी हो सकती है या फिर आपको पूरा प्रोटीन नहीं मिल रहा।

2. बालों का झड़ना या चेहरे पर रैशेज: बायोटिन या विटामिन बी7 की कमी से ये समस्याएं होती हैं। बायोटिन की जरूरत फैट्स, कार्ब और अमिनो एसिड्स को पचाने में भी होती है, लेकिन सबसे अहम भूमिका बालों और नाखूनों को मजबूत करने में होती है।

3. लाल और सफेद रंग के छोटे मुंहासे: अगर आपके गाल, बाजू, जांघ आदि पर छोटे-छोटे बारीक दाने या मुंहासे हैं तो आपके शरीर में ओमेगा-थ्री के अलावा विटामिन ए या डी की कमी हो सकती है।

4. हाथ और पैरों में झटके या सुन्नपन: अगर ऐसा है तो आपके अंदर विटामिन बी खासकर फॉलेट, बी6 या बी12 की कमी हो सकती है। इसके अलावा डिप्रेशन, अनीमिया, थकान और हॉर्मोन की गड़बड़ी भी हो सकती है।

कराएं टेस्ट

शरीर में किसी पोषण की कमी तो नहीं है यह जानने के लिए 30 साल की उम्र के बाद हर साल एक बार हेल्थ चेकअप जरूरी है। ये टेस्ट करा सकते हैं:

-टोटल ब्लड काउंट
-थायरॉइड प्रोफाइल
-विटामिन बी 12
-विटामिन डी
-सीरम कैल्शियम
-सीरम आयरन

नोट: ऊपर दिए गए लक्षण नजर आएं तो डॉक्टर से सलाह लेकर टेस्ट करा लें। वैसे, बेहतर तो यही है कि कोई भी टेस्ट कराने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।

किस उम्र में लें और कितना

सप्लिमेंट लेने की कोई तय उम्र नहीं होती। जरूरत के मुताबिक ये किसी भी उम्र में लिए जा सकते हैं। अगर बच्चों में भी किसी तरह की न्यूट्रिशन संबंधी दिक्कत है तो उन्हें भी सप्लिमेंट दिए जा सकते हैं। फिर भी बेहतर यही है कि किसी भी तरह का सप्लिमेंट शुरू करने से पहले हेल्थ एक्सपर्ट से एक बार सलाह ले लें। शरीर को जितनी जरूरत है, उसके मुताबिक मात्रा तय की जाती है। इसके लिए आप बॉटल पर दिए गए न्यूट्रिशन फैक्ट चेक कर लें।

कब और कितने दिन लें सप्लिमेंट?

सप्लिमेंट लगातार नहीं लेने चाहिए। 2 महीने लें और फिर 1 महीने के लिए बंद कर दें। फिर 2 महीना लें और 1 महीने के लिए बंद कर दें। दरअसल, कोई भी चीज हम खाते हैं तो वह लिवर से होकर जाती है। ऐसे में लिवर के सही से काम करने और शरीर को उस चीज की इस तरह आदत न पड़ जाए कि उसका फायदा ही खत्म हो जाए, इसके लिए ब्रेक लेना जरूरी है। आमतौर पर सप्लिमेंट का टेस्ट लेने के बाद जिस चीज की कमी थी, उसका दोबारा टेस्ट कराया जाता है ताकि यह जानकारी मिल सके कि सप्लिमेंट का क्या असर हुआ? वैसे, जो लोग बहुत ज्यादा कसरत करते हैं, उन्हें अक्सर लंबे समय तक सप्लिमेंट की जरूरत पड़ती है।

कब बंद कर दें?

अगर सप्लिमेंट लेने के बाद उलटी या लूज मोशन होने लगें या फिर तेज सिरदर्द, चक्कर, घबराहट होने लगे तो सप्लिटमेंट लेना फौरन बंद कर दें। इसके बाद डॉक्टर से मिलें। ध्यान रखें कि मल्टिविटामिन और मल्टिमिनरल सप्लिमेंट लेने से स्किन, बाल और नाखूनों की सेहत धीरे-धीरे सुधरने लगती है लेकिन यह भी सच है कि जो लोग बैलेंस्ड डाइट लेते हैं, उन्हें सप्लिमेंट की जरूरत नहीं होती, खासकर अगर वे जिम नहीं जाते। अगर आप कुदरती तौर पर खूबसूरत दिखना चाहते हैं तो खाने के कुदरती सोर्स का ज्यादा-से-ज्यादा इस्तेमाल बेहतर हैं।

ज्यादा का नुकसान

किसी भी चीज की ओवरडोज नुकसानदेह होती है। इसी तरह कैलशियम या विटामिन ज्यादा मात्रा में लेने पर शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं, जैसे कि विटामिन डी शरीर में ज्यादा हो जाए तो टॉक्सिक हो जाता है और तब उलटी, सिरदर्द, चक्कर, भूख न लगने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसी तरह, कैल्शियम ज्यादा हो तो एसिडिटी की समस्या हो सकती है। साथ ही, यह नसों में भी जाकर भी जम सकता है। अगर हम प्रोटीन जरूरत से ज्यादा लेते हैं तो किडनी पर खराब असर पड़ता है। ऐसे में जरूरी है कि किसी भी चीज को जरूरत से ज्यादा न लिया जाए।

कैसे चुनें सही ब्रैंड

-सप्लिमेंट चुनते हुए बड़ा और नामी ब्रैंड चुनना ही बेहतर है। किसी शख्स से, जैसे कि जिम इंस्ट्रक्टर आदि से खरीदने से बचें।
- खरीदने से पहले रिसर्च करें। दुकान पर जाकर 3-4 पॉपुलर ब्रैंड्स के लेबल का फोटो खीचें और फिर उनमें तुलना करें कि किसमें कौन-सी चीज किस मात्रा में है।
- देखें कि जिस विटामिन या प्रोटीन के लिए आप सप्लिमेंट ले रहे हैं, डब्बे में उसकी मात्रा कितनी है?
- कंपनी की वेबसाइट पर जाकर चेक करें और पूरी जानकारी हासिल करें।
- मशहूर मेडिसिन फोरम जैसे कि पबमेड (Pubmed) और गूगल स्कॉलर (Google Scholar) आदि पर जाकर चेक करें।
- FSSAI की वेबसाइट पर जाकर भी चेक कर सकते हैं कि आप जिस कंपनी का प्रोडक्ट इस्तेमाल कर रहे हैं, उसके पास उसे बनाने का लाइसेंस है या नहीं।
- प्रॉडक्ट पर एक्सपायरी डेट देखें और वही प्रॉडक्ट लें, जिसकी शेल्फ लाइफ कम-से-कम 50 फीसदी बाकी हो। यानी अगर जनवरी में कोई प्रोडक्ट खरीद रहे हैं तो उसकी एक्सपायरी जून से पहले की न हो।
- देखें कि प्रॉडक्ट का रखरखाव सही हो और वह धूल-मिट्टी वाली जगह पर न पड़ा हो।
- यह भी देखें कि प्रॉडक्ट पर चाइल्ड सेफ्टी कैप हो।

कुछ बेहतर ब्रैंड्स

वैसे तो कई कंपनियां फूड सप्लिमेंट बना रही हैं, लेकिन कुछ कंपनियों के प्रॉडक्ट को बेहतर माना जाता है। इनमें खास हैं: एमवे (Amway), वनलाइफ (Onelife), एबॉट (Abott), फाइजर (Figer), सनफार्मा (Sunfarma), बेअर (Baer) और सिप्ला (Sipla)

यहां से खरीद सकते हैं

यूं तो सप्लिमेंट किसी भी केमिस्ट शॉप से खरीद सकते हैं, लेकिन बेहतर है कि कुछ भरोसेमंद ऑनलाइन या ऑफलाइन जगहों से ही खरीदें, जैसे कि amazon, ebay, health out, flipkart, fortis religare, apollo pharmacy आदि। नकली सप्लिमेंट भी बाजार में खूब उपलब्ध हैं। ऐसे में संभलकर इसकी शॉपिंग करें।

लेबल पर क्या चेक करें

- GMP सर्टिफिकेशन हो
- FSSAI सर्टिफिकेशन हो
- Non-GMO लिखा हो
- मैन्युफैक्चरिंग कंपनी का लाइसेंस नंबर हो
- मार्केटिंग कंपनी का लाइसेंस नंबर हो
- वेज/नॉन वेज का साइन सामने की तरफ हो
- एक्सपायरी डेट हो
- डिस्क्लेमर हो

नोट: जल्दी ही बदलने वाले हैं लेबलिंग लॉ। किसमें कौन-सी चीज कितनी मात्रा में डाली गई है, अब यह बताना जरूरी होगा।

ध्यान रखें

सिर्फ खूबसूरती के लिए सप्लिमेंट न लें। बेहतर तो यही है कि पूरा पोषण खाने से ही लें। यह सच है कि मल्टिविटामिन और मल्टिमिनरल सप्लिमेंट लेने से स्किन, बाल और नाखूनों की सेहत धीरे-धीरे सुधरती जाती है। शरीर में किसी तरह की कमी को पूरा करने का काम सप्लिमेंट करते हैं, लेकिन यह भी सच है कि जो लोग बैलेंस्ड डाइट लेते हैं, उन्हें सप्लिमेंट की जरूरत नहीं होती, जब तक कि वे जिम नहीं जाते।

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